Autism किस उम्र में चरम पर होता है?विभिन्न उम्र में Autism के 5 प्रभाव

Autism किस उम्र में चरम पर होता है?

Autism के विकास को समझना
Autism Spectrum Disorder (ASD) एक आजीवन स्थिति है, जिसमें “चरम उम्र” निर्धारित करना आसान नहीं है। हालांकि, शोध से पता चलता है कि Autism के लक्षण – जैसे सामाजिक, संचार और व्यवहार संबंधी चुनौतियाँ – उम्र के साथ बदलते हैं। आइए विभिन्न उम्र के चरणों में Autism के प्रभाव को समझें।


शिशु अवस्था में शुरुआती संकेत (0-2 वर्ष)

Autism के शुरुआती लक्षण शिशु अवस्था में देखे जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • आँखों से संपर्क की कमी या सामाजिक मुस्कान का न होना।
  • भाषण में देरी या बड़बड़ाने की कमी।
  • सामाजिक गतिविधियों में रुचि की कमी।

विशेषज्ञ की राय: अधिकतर बच्चों का निदान 18 महीने से 4 साल के बीच होता है, जब उनके विकास के मील के पत्थर स्पष्ट होने लगते हैं। इस समय में शुरुआती हस्तक्षेप (Early Intervention) बहुत महत्वपूर्ण है।


बचपन में विकासात्मक चुनौतियाँ (3-12 वर्ष)

बचपन के दौरान, कई बच्चों को Autism के कारण निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है:

  • दोस्तों के साथ संबंध बनाने में कठिनाई।
  • दिनचर्या पर अत्यधिक निर्भरता और बदलाव को स्वीकार न करना।
  • दोहराव वाले व्यवहार और संवेदनशीलता।

चरम अवधि: 5-7 वर्ष की उम्र के बीच व्यवहार संबंधी समस्याएँ जैसे गुस्सा या चिंता बढ़ सकती हैं, क्योंकि इस समय अकादमिक और सामाजिक दबाव बढ़ता है। थेरेपी, जैसे Applied Behavior Analysis (ABA), इन समस्याओं को प्रबंधित करने में सहायक हो सकती है।


किशोरावस्था में बदलाव (13-19 वर्ष)

किशोरावस्था में हार्मोनल बदलाव और सामाजिक दबाव नई चुनौतियाँ लेकर आते हैं। is bimari से ग्रसित व्यक्तियों में इस समय हो सकता है:

  • बढ़ती हुई चिंता या मूड स्विंग।
  • विशेष रुचियों का विकास या किसी चीज़ पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना।
  • सामाजिक दूरी या किशोर जीवन की जटिलताओं को समझने में कठिनाई।

हालाँकि इस समय चुनौतियाँ “चरम” पर हो सकती हैं, लेकिन यह आत्म-जागरूकता और कॉपिंग स्ट्रेटेजी (समस्याओं से निपटने के तरीके) विकसित करने का समय भी होता है।

किशोरावस्था में बदलाव (13-19 वर्ष) – Autism के संदर्भ में

किशोरावस्था वह समय होता है जब बच्चे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरते हैं। इस दौरान हार्मोनल बदलावों और सामाजिक दबावों का सामना करना पड़ता है, जो Autism से ग्रसित व्यक्तियों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। आइए जानते हैं कि किशोरावस्था में Autism से प्रभावित व्यक्तियों में क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं:


1. बढ़ती हुई चिंता या मूड स्विंग

किशोरावस्था में हार्मोनल परिवर्तन और सामाजिक दबावों के कारण मानसिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। Autism से ग्रसित किशोरों में इन बदलावों का प्रभाव और भी गहरा हो सकता है, जैसे:

  • चिंता बढ़ना: बच्चों को भविष्य की चिंता, शैक्षिक या सामाजिक समस्याएँ, या रिश्तों को लेकर अधिक तनाव महसूस हो सकता है।
  • मूड स्विंग: अचानक मूड में बदलाव आ सकते हैं, जैसे खुश होने के बाद जल्दी से चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना।

यह सभी परिवर्तन Autism से प्रभावित व्यक्तियों के लिए अतिरिक्त तनाव पैदा कर सकते हैं। वे बिना किसी स्पष्ट कारण के अपनी भावनाओं को समझने या व्यक्त करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।


2. विशेष रुचियों का विकास या किसी चीज़ पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना

Autism से ग्रसित किशोरों में विशेष रुचियों का विकास एक आम लक्षण हो सकता है। वे किसी एक विशेष विषय, जैसे गणित, विज्ञान, कला, या किसी खास शौक में गहरी रुचि विकसित कर सकते हैं। इस दौरान कुछ विशेष बातें देखी जा सकती हैं:

  • हाइपरफोकस: वे किसी एक गतिविधि या रुचि पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जिससे अन्य कार्यों या सामाजिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी कम हो सकती है।
  • रुचियों में गहरी संलिप्तता: यह अत्यधिक रुचि उन्हें अन्य लोगों से दूरी बना सकती है और वे उसी में खो सकते हैं, जिससे उनका सामाजिक संपर्क सीमित हो सकता है।

3. सामाजिक दूरी या किशोर जीवन की जटिलताओं को समझने में कठिनाई

किशोरावस्था में सामाजिक अपेक्षाएँ और समूह की गतिशीलता बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हैं। Autism से प्रभावित किशोरों को निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती हैं:

  • सामाजिक दूरी: किशोरों को एक ओर दोस्तों के साथ घुलने-मिलने का दबाव महसूस होता है, लेकिन वे अक्सर सामाजिक संकेतों या भावनाओं को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। इससे वे अकेला महसूस कर सकते हैं और समूह गतिविधियों में शामिल होने से कतराते हैं।
  • समूह गतिशीलता को समझने में कठिनाई: किशोरों के बीच रिश्ते बनाना, दोस्ती करना, और सामाजिक रोल्स निभाना कठिन हो सकता है। वे किशोरों की जटिल बातचीत, जो मजाक और चिढ़ाने या छेड़खानी से संबंधित होती है, को सही से समझ नहीं पाते।

इस दौरान कई किशोर अपनी पहचान को लेकर भी संघर्ष कर सकते हैं और समाज में खुद को स्वीकार करने का प्रयास कर सकते हैं।


वयस्कता और आगे का जीवन (20+ वर्ष)

वयस्कता में, iss से ग्रसित व्यक्ति अपना विकास जारी रखते हैं। कुछ लोग अपने कौशल, करियर, या शौक में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, जबकि कुछ को जीवनभर समर्थन की आवश्यकता हो सकती है। मुख्य चुनौतियाँ:

  • स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने का प्रबंधन।
  • रिश्तों को बनाना और सामाजिक अपेक्षाओं को समझना।
  • संवेदनशीलताओं से निपटना।

क्या Autism चरम पर होता है?

Autism किसी एक उम्र में “चरम” पर नहीं होता। इसके प्रभाव जीवन के विभिन्न चरणों और बाहरी कारकों, जैसे सामाजिक अपेक्षाओं और समर्थन प्रणाली, के आधार पर बदलते हैं। शुरुआती निदान और निरंतर समर्थन से Autism से ग्रसित व्यक्ति एक सुखद और संतोषजनक जीवन जी सकते हैं।


मुख्य संदेश: yah एक स्पेक्ट्रम है और हर व्यक्ति का सफर अलग होता है। जीवन के हर चरण में ise समझकर, हम बेहतर देखभाल और समर्थन प्रदान कर सकते हैं।


माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जीवन के हर चरण में सीखने और विकास

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